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लेखनी कहानी -17-Oct-2022 सिंहनी

भाग 6 : सावित्री 


अगला नंबर सावित्री का था । सावित्री ने बिना किसी भूमिका के कहना शुरु किया 
बात उन दिनों की है जब मेरी शादी की तैयारियां चल रही थी । मुझे देखने एक लड़का सत्या आया हुआ था । सत्या अच्छे परिवार का ऊंची नौकरी वाला युवक था । उसके घरवालों ने मुझे पसंद कर लिया था । मैं बहुत सुंदर थी और हर कोई मेरी सुंदरता की प्रशंसा करता था । लेकिन मैं अलग से सत्या से बात करना चाहती थी इसलिए मेरे कहने पर मम्मी ने हम दोनों की मीटिंग एक कमरे में रखवा दी थी । 

मैं खामोश थी । सत्या ने कहा "क्या खामोशी की आवाज सुनाने के लिए अलग से मीटिंग रखवाई गयी है" ? 
मेरे होठों पर थोड़ी देर के लिए एक मुस्कान खेल गई थी लेकिन अगले ही पल मैं संभल गई और कहने लगी 
"क्या मैं आपको पसंद हूं" ? 
"जी हां" 
"क्या आपको मेरे अतीत के बारे में पता है" ? 
"नहीं , और उसमें मुझे रुचि भी नहीं है" 
"पर मुझे है । मैं अपना अतीत आपको बताना चाहती हूं फिर आप निर्णय करना" 
"ठीक है , कहो , क्या कहना चाहती हो" ? 
"मैं कक्षा बारह में पढती थी तब मेरी क्लास के एक लड़के से मेरी दोस्ती हो गई थी । दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला । हम लोग चोरी चोरी मिलते रहे । एक दिन उसने मुझसे "कुछ" फरमाइश की जिसे सुनकर मैं शरमा गई और मैंने मना कर दिया । मगर वो नहीं माना और जिद करने लगा । अपने प्यार की दुहाई देने लगा । मैं पिघल गई और उस दिन मैंने लाज के बंधन तोड़ दिये । उस दिन के बाद वह कभी कभी "वही" फरमाइश करने लगा । इससे मेरा मन खिन्न रहने लगा । मुझे लगा कि वह मुझसे नहीं बल्कि मेरे बदन से प्रेम करता है । मैंने उससे दूरी बना ली थी मगर उसने मेरी वीडियो बना रखी थी । उन वीडियोज के माध्यम से वह मुझे यदा कदा आज भी ब्लैकमेल करता रहता है । मेरी जिंदगी नर्क बन गई है । अल्हड़ उम्र का प्यार इस तरह मुसीबत बन जाएगा, मैंने सोचा नहीं था । अब आप ही बताइये कि क्या मैं शादी लायक हूं" ? 
"जी, आप शादी लायक हैं और मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है । हां अगर आप सहमत हों तो हमारी शादी हो सकती है" 

और हमारी शादी हो गई । मैं ससुराल आ गई । जब उस लड़के को पता चला तो उसने मुझे धमकाया लेकिन मुझे अपने पति का पूरा साथ मिला था इसलिए मैं उसकी धमकियों से बिल्कुल भी नहीं डरी । मेरी सारी वीडियो उसने सत्या को भेज दी । सत्या ने उन सबको इग्नोर कर दिया । तब वह बौखला गया और एक दिन उसने सत्या को रास्ते में रोक लिया और उसके गुंडों ने सत्या की बहुत पिटाई की । उसके हाथ पांव तोड़ दिए । दो महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे थे सत्या । मैंने थाने में रिपोर्ट लिखा दी । पुलिस ने धारा 307 का केस बना दिया । जिला जज ने उसे जमानत दे दी । जमानत मिलने के बाद वह हमारे घर आया और सत्या को मारने लगा । उसके गुंडे मुझे जबरन उठाकर ले जाने लगे । यह मेरे सब्र की इन्तेहां थी । मेरी करनी का फल एक "देवता सदृश पति" को मिल रहा था । मैं सिंहनी की तरह बिफर उठी और उनसे छूटकर घर के अंदर भागी । घर में रखी पिस्तौल निकाल कर उन सबको यमलोक पहुंचा दिया और खुद ही थाने चली गई । इस प्रकार मैं पिछले दस साल से यहां पर हूं और पूरी जिंदगी यहीं पर रहूंगी । सत्या कभी कभी मुझसे मिलने आते हैं । बस, मेरे लिए इतना ही काफी है । मैं इसमें ही खुश हूं" । 

सब लोगों ने सावित्री की बहादुरी पर तालियां बजाकर उसका उत्साह वर्धन किया । 

श्री हरि 
25.10.22 

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4 Comments

Abeer

27-Oct-2022 02:50 PM

Bahut sunder 👌

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Pratikhya Priyadarshini

27-Oct-2022 01:15 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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Bahut khoob 💐👍

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